ट्रिंग ट्रिंग.......हेलो साहब ..हैलो मैं दीपक बोल रहा हूँ गूँजनपुरा से
साहब-कौन दीपक??क्या साहब पहचाने नही कल ही तो मिले थे डाक बंगले पर।
साहब-अच्छा हां दीपक..याद आया । और आज काम पर नही गए क्या।
दीपक-कौन सा काम सर lockdown में हम मजदूरों को कौन पूछ रहा है। एक काम था साहब आपसे।
साहब-हां बताओ ।
दीपक-साहब वो सड़क के किनारे अपना मकान है न उसके सामने बरसात में बहुत पानी भर जाता है।बहुत समस्या होती है हम लोगों को। कई बार माननीय जी से कहे लेकिन आज भी जस का तस है।
साहब-तो हमसे क्या चाहते हो
दीपक-साहब आप तो बड़े अधिकारी हैं आप जो चाहे वो कर सकते हैं।थोड़ा रहम हमारे ऊपर भी कर दीजिए।
साहब-ठीक है तुम एक प्रार्थना पत्र दो मैं प्रस्ताव बनाकर भेज देता हूँ । पास हो जाएगी कि तो बन जाएगी।
दीपक-प्रस्ताव और एस्टीमेट में तो काफी समय लग जायेगा सर आप अपने तरीके से करा दो न।
साहब-मेरा कोई तरीका नही है । मैं एस्टीमेट बना दूंगा तुम डिपाजिट करा दो तो तुम्हारे घर के सामने की समस्या दूर हो जाएगी।लेकिन पास एस्टीमेट के पूरे पैसे विभाग में जमा कराने होंगे।
दीपक-एस्टीमेट न बनवाइये साहब वैसे ही करा दीजिये। हम तो अपने आदमी हैं।कहिये तो माननीय जी से बात करा दें।
साहब-नही ऐसे नही होता है बिना एस्टीमेट पास हुए कुछ नही होगा। अब फोन रखो।
ट्रिंग ट्रिंग...हेलो माननीय जी मैं दीपक बोल रहा हूँ ।
माननीय जी-हाँ बोलो
दीपक-सर हमारे गांव में सड़क बन रहा है ।बहुत अच्छा है।लेकिन हमारे घर के सामने भी पानी भरा रहता है वो भी करा दीजिये।ज्यादा मटेरियल नही लगेगा।आप इजाजत दें तो मैं काम भर का मटेरियल मेन रोड से उठा लाऊं।
माननीय जी-कितना मटेरियल लगेगा। बहुत ज्यादा मत ले जाना और मेरा नाम न लेना मैं जेई से कह दूंगा।
दीपक- माननीय जी।जेई साहब हमारा ट्रक पकड़ लिए हैं और मटेरियल नही ले जाने दे रहे हैं।सब गांव वालों से पैसा भी वसूल रहे हैं।
माननीय जी-कह दो मटेरियल उनके बाप का नही है।का नाम है जेई का।
दीपक-दिवाकर सिंह।
माननीय जी-बात कराओ।
ट्रिंग ट्रिंग
माननीय जी-
हेलो जेई साहब अपनी कार्य संस्कृति सुधार लो।अब पहले जैसा नही चलेगा।छोड़ दो इनका ट्रक ।थोड़ा मटेरियल दे दो घर के सामने बिछा देंगे।
जेई साहब-माननीय जी हम मना थोड़ी कर रहे हैं हम तो कह रहे हैं कि एस्टीमेट पास कराकर पैसे विभाग में जमा करा दें। हम खुद ही बनवा देंगे। या फिर अगली योजना का इन्तेजार करें।
माननीय जी- ऐसा है हमसे ज्यादा ज्ञान मत झाड़ो।खूब जानते हैं तुम्हारी ईमानदारी को।काम करो गरीब आदमी का ।मैं और कुछ नही सुनना चाहता।
जेई साहब-नही हो पायेगा साहब। आप ही नियम से काम करने को कहते हैं अब आप ही नियम तोड़ने के लिए कह रहे हैं।
क्षमा करें सर।नही हो पायेगा।
कुछ दिनों बाद
ट्रिंग ट्रिंग हेलो
दीपक: माननीय जी हमारा काम हुआ नही
माननीय जी:क्यों मैनें तो जेई को कह दिया था
दीपक : हां लेकिन वो एस्टीमेट का पैसा जमा कराने पर अड़े है।
माननीय जी-कितना पैसा मांग रहे हैं।
दीपक- 20465 का एस्टीमेट बनाये हैं।हम 16 हजार ही दे पाएंगे।
माननीय जी: तुम 16 हजार दो साले को लेकिन सीधे उसे मत देना ....चालाक है लेगा नही। तुम उसके किसी कर्मचारी या लेबर को देना और उसकी वीडियो बना लेना ।आगे मैं निपट लूंगा।
सारी जेईगिरी निकल दूंगा।
दीपक-ऐसा करने में हमारा कोई नुकसान तो नही।
माननीय जी- कोई नुकसान नही होगा।तुम गरीब हो और हम गरीबों के ही हैं।
दो दिन बाद
ट्रिंग ट्रिंग
कर्मचारी-हेलो साहब आदिल बोल रहा हूँ
वो हम दीपक के यहां आएं है ये हमको बुलाये थे कि एस्टीमेट का पैसा जमा करना है।पर आज शनिवार है अब आफिस भी बंद हो गया है।और ये कह रहे हैं कि आज ही पैसा जमा करेंगे।
जेई साहब- आज तो हो नही पायेगा रख लो बाद में करा देंगे।
एक सप्ताह के बाद
शिकायकर्ता दीपक का काम हो चुका है।घर के सामने की सड़क बन चुकी है।
Breaking News
H7Tv से लाइव अपडेट
Pwd विभाग के जेई ने सड़क बनवाने के नाम पर गरीब से झटके 20000।घटना विजयपुर नगरपंचायत के गूँजनपुरा टोला की।मजदूर के जरिये गरीब दीपक से हड़पे 20000 का वीडियो वायरल।
माननीय जी शिकायत पर विभाग के निदेशक ने टीम गठित कर दोषी जेई को निलंबित किया और मजदूर कर्मचारी को बर्खास्त किया।
माननीय जी का कहना है कि भ्रष्टाचार बिल्कुल बर्दास्त नही किया जाएगा।
#गरीब दीपक बेहद गरीब था और उसके पास हाई resolution कैमरा वाला स्मार्ट फोन भी था।
और पैसे भी थे जो कहीं भी किसी को भी देने के लिए तैयार था। बस नियम से नही दे सकता था।क्योंकि चाचा अबकी दोबारा निर्वाचित हुए हैं।तो नियम कानून का तो सवाल ही नही पैदा होता है।
#मीडिया जबरदस्त मसाला मिला है।पिछले बार हम भी काम दिए थे साले को अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे।
#प्रबंधन जी सर। अच्छा सर।अभी तुरन्त कार्यवाही करते हैं।
उत्कोच अर्थात घूस उस अपराध का नाम है जो वास्तव में अस्तित्व में नही है ।इसका केवल नाम राह गया है। यदि यह अस्तित्व में होती तो घूस देनेवाला और लेने वाला दोनों दोषी होते। किन्तु यहां तो सिर्फ लेने वाला ही दोषी है क्योंकि देने वाले ने बड़े प्यार से बुलाकर उसे देता है और फिर उसकी शिकायत कर्ता है। वर्ना हम भी जानते हैं कि कोई उसके बगीचे का एक आम भी नही तोड़ सकता है शोषण कर रिश्वत लेना तो बहुत दूर की बात है।
#तो कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि नियम कानून से कोई समझौता नही किसी भी कीमत पर नही। चाहे माननीय जी कहें चाहे उनके बप्पा।# चाहे तथाकथित शोषित गरीब#
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