बिजली की तार छुए पिया बार बार छुए
फिर भी न कोई जोश और न जवानी है
अधर में लटकी है दर दर भटकी है
लगता है कि व्यर्थ अब मेरी जिंदगानी है
सुने है कि काम करता है हाई वोल्टेज का
फिर भी लो वोल्टेज की इसकी कहानी है
चारों ओर ख्वाहिशें हैं ख्वाहिशों का समंदर है
बस आंख में ही है और कहीं नही पानी है
जिया मेरा धड़के है बायीं आँख फड़के है
मन के जो तार जुड़े फ्यूज उड़ जाता है
देखता है मेरी तरफ मद भरी आंखों से
पर सीढ़ी तार लिए कहीं और मुड़ जाता है
लाख चिट्टी लिखूं, लाख लिखूं लव लेटर
उसके मेरे बीच मे हैं जाने कैसा इंसुलेटर
अर्थ फाल्ट ओवर करंट सब गया बेकार
पंक्चर होता नही बिजली गिरी हजार।
हाय रे विधाता क्या गजब मनमानी है
लगता है कि व्यर्थ अब मेरी जिंदगानी है।
एक रोज सांझ ढले मौसमी खुमार रहा
खिड़की से बार बार पिया था निहार रहा
शिव की कृपा हुई रति के भाग जगे
राग रागिनी सजे मन के सितार बजे
प्रेम की मधुर घड़ी अपलक मैं खड़ी
पूर्ण होगी प्रार्थना आस है मुझे बड़ी।
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